
केरल के विधानसभा चुनाव में सबरीमाला मंदिर का मसला उठ खड़ा हुआ है। राज्य के देवास्वम (धार्मिक मामलों) मंत्री कडाकाम्पल्ली सुरेंद्रन ने भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर 2018 में हुई घटनाओं पर खेद जताया है। इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू कराने के लिए राज्य सरकार ने भारी बल प्रयोग किया था जिसके कारण पूरे राज्य में भारी अव्यवस्था फैली थी। भाजपा और कांग्रेस ने राज्य सरकार से उस समय के कृत्यों के लिए माफी की मांग की है।
सुरेंद्रन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय को अब भगवान के भक्तों, राजनीतिक दलों और जनसामान्य से सलाह के बाद लागू किया जाएगा। मंत्री ने कहा, 2018 की घटनाओं के लिए उन्हें पीड़ा है। इस तरह की घटनाएं दोबारा नहीं होनी चाहिए। छह अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले सुरेंद्रन ने यह सफाई एक टेलीविजन चैनल के जरिये दी है।
मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को राज्य सरकार द्वारा लागू करने के विरोध में राज्य में आंदोलन खड़ा हो गया था। सैकड़ों सालों की परंपरा को तोड़ने वाले आदेश के विरोध में कांग्रेस और भाजपा साथ आ गए थे। कई सप्ताह तक राज्य में भीषण आंदोलन चला था जिसमें दर्जनों लोग घायल हुए थे।
चुनाव प्रचार में भाजपा इस मसले को उठाकर राज्य की माकपा सरकार को घेर रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने कहा है कि देवास्वम (धार्मिक मामलों) मंत्री सरकार के कृत्य पर अब घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। गंगा में अगर वह हजारों बार डुबकी लगाएं तब भी उनका पाप दूर नहीं हो सकता। जबकि कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा है कि राज्य सरकार का उस समय का कदम भगवान अयप्पा के भक्तों के साथ धोखा था।