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तेजपाल मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय ने फैसले में महिला के व्यक्तिगत विवरण के संदर्भ में संशोधन करने का आदेश देते हुए सेशन कोर्ट को लगाई फटकार

गोवा सरकार द्वारा सेशन कोर्ट के द्वारा तेजपाल मामले में बरी कर देने वाले फैसले के खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय में दायर की गयी अपील पर सुनवाई करते हुए, बॉम्बे उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने गुरुवार को सेशन अदालत को निर्देश दिया, जिसने पत्रकार तरुण तेजपाल को बलात्कार के सभी आरोपों से बरी कर दिया, अदालत की वेबसाइट पर अपलोड करने से पहले पीड़ित की पहचान का खुलासा करने वाले अपने फैसले में सभी संदर्भों को संशोधित करने का कोर्ट ने निर्देश दिया।

बॉम्बे उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति एससी गुप्ते की अवकाशकालीन पीठ गोवा सरकार द्वारा दायर एक अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सत्र न्यायाधीश क्षमा जोशी द्वारा मामले में तेजपाल को बरी करने के 21 मई के फैसले को चुनौती दी गई थी।

तहलका पत्रिका के पूर्व प्रधान संपादक तेजपाल पर आरोप है कि 2013 में गोवा में एक पांच सितारा होटल की लिफ्ट में अपने तत्कालीन सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का प्रयास किया, जब वे एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे।

सेशन अदालत ने तेजपाल को बरी करते हुए पीड़िता के आचरण पर सवाल उठाते हुए बोला कि उसने किसी भी तरह के “आदर्श व्यवहार” जैसे आघात और सदमे का प्रदर्शन नहीं किया, जो यौन उत्पीड़न की शिकार हो सकता है।

गोवा सरकार की ओर से भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को उच्च न्यायालय को बताया कि फैसले में की गई टिप्पणियों और पीड़ित के संबंध में अधिकांश निष्कर्ष “आश्चर्यजनक” थे।

उन्होंने बोला- “निर्णय, जिसे अभी अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना है और सार्वजनिक किया गया है, विभिन्न पैराग्राफों में भी पीड़ित महिला की पहचान का खुलासा करता है। यह एक आपराधिक अपराध है,।”

तुषार मेहता ने बोला कि फैसले में पीड़िता की मां और पति के नाम और पीड़िता की ईमेल आईडी का भी खुलासा हुआ है, जो परोक्ष रूप से पीड़ित के नाम का खुलासा करती है।

न्यायमूर्ति एससी गुप्ते  की अवकाशकालीन पीठ ने एक आदेश पारित करते हुए बोला, “ऐसे अपराधों में पीड़ितों की पहचान के खुलासे के खिलाफ कानून को ध्यान में रखते हुए, इन संदर्भों को संशोधित करना न्याय के हित में है।”

न्यायमूर्ति गुप्ते  ने बोला, निचली अदालत को तदनुसार अदालत की वेबसाइट पर फैसले को अपलोड करने से पहले पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले संदर्भों को संशोधित करने का निर्देश दिया जाता है।

तुषार मेहता ने अदालत से बोला कि यह दुखद है कि उच्च न्यायालय को यह आदेश देना पड़ा। उन्होंने बोला- “ट्रायल कोर्ट को इन मुद्दों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए था।”

फैसले में टिप्पणियों और निष्कर्षों की आलोचना करते हुए, तुषार मेहता ने आगे उल्लेख किया कि सेशन न्यायाधीश का मानना है कि यौन अपराधों की पीड़िता को आघात दिखाना चाहिए और उसके बाद ही उसकी गवाही पर विश्वास किया जा सकता है। तुषार मेहता ने आगे बोला कि “सिस्टम ऐसे मामलों से निपटने के दौरान न्यायिक न्यायशास्त्र के अलावा संवेदनशीलता की अपेक्षा करता है। हम पीड़ितों के ऋणी हैं।”

तुषार मेहता ने पुलिस के साथ बयान दर्ज करने से पहले मामले पर चर्चा करने के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और अन्य महिला वकीलों के साथ पीड़िता की बैठक के फैसले में किए गए संदर्भों पर भी सवाल उठाया।

“यौन शोषण की शिकार इस लड़की ने वरिष्ठ और प्रतिष्ठित वकील इंदिरा जयसिंह से संपर्क किया था। लड़की ने एक महिला वकील से सही सलाह ली। उसमे गलत क्या है?” मेहता ने बोला।

उन्होंने अदालत को बताया कि गोवा सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फैसले के प्रति मिलने से पहले ही अपील दायर कर दी।

मेहता ने बोला, “हमें 25 मई को ही फैसले की एक प्रति मिली। हम फैसले को रिकॉर्ड में लाना चाहते हैं और याचिका में चुनौती के आधार में भी संशोधन करना चाहते हैं।”

अदालत ने इसकी अनुमति दी और अपील को आगे की सुनवाई के लिए 2 जून को पोस्ट किया।

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