मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और अमेरिकी विशेष दूत जॉन केरी ने की बैठक, पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर हुई चर्चा

जलवायु को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के विशेष दूत जॉन केरी ने मंगलवार को नई दिल्ली में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात की। दोनों के बीच जलवायु, संयुक्त शोध और सहयोग के मुद्दों पर वार्ता हुई। प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर बताया, ‘जलवायु के लिए राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी के साथ अच्छी बातचीत हुई। हमने कई मुद्दों पर बात की।’
Had an engaging and fruitful discussion with Mr. @JohnKerry, Special Presidential Envoy for Climate.
We discussed a range of issues including #ClimateFinance, joint research and collaboration etc.@PMOIndia @ClimateEnvoy @UNFCCC pic.twitter.com/SaIij2bCz2
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) April 6, 2021
भारत के दौरे पर आने वाले जॉन केरी बाइडन प्रशासन के दूसरे शीर्ष अधिकारी हैं। मार्च में अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन नई दिल्ली आए थे। इसके लिए जॉन केरी सोमवार को ही भारत आ गये थे। यहां वे भारत सरकार, प्राइवेट सेक्टर व एनजीओ के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के उद्देश्य से आए हैं। इसके लिए उन्होंने ट्वीट भी किया था और लिखा था, ‘जलवायु संकट से निपटने के लिए अमीरात, भारत और बांग्लादेश में दोस्तों के साथ सार्थक चर्चा को लेकर उत्साहित हूं।’
जॉन केरी भारत के अलावा अबू धाबी और बांग्लादेश की राजधानी ढाका का भी साथ में दौरा कर रहे हैं। अमेरिका की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है कि वे 1 से 9 अप्रैल के बीच अबू धाबी, नई दिल्ली और ढाका भी जा रहे हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, 22-23 अप्रैल के बीच जलवायु परिवर्तन पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा आयोजित ‘नेताओं के शिखर सम्मेलन’ और इस वर्ष के अंत में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 26) से पहले कैरी विचार विमर्श के लिए इन देशों के दौरे पर हैं।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विश्व के 40 नेताओं को जलवायु परिवर्तन से निपटने को लेकर वार्ता के मकसद से आयोजित होने वाले ‘नेताओं के शिखर सम्मेलन’ के लिए आमंत्रित किया है। इस शिखर सम्मेलन का मकसद जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने के आर्थिक लाभ एवं महत्व को रेखांकित करना है। वाइट हाउस ने बताया था कि ग्लासगो में इस साल नवंबर में होने वाले संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP 26) के मार्ग में यह मील का पत्थर साबित होने वाला है।